Khajuraho

                                        

खजुराहो  के मंदिर 

khajuraho temple #

यह आर्टिकल खजुराहो के मंदिरो एवं उसकी मूर्ति कला के पहलुओं पर प्रकाश  डालता है। जो की अपनी मूर्तिकला के विषय में विश्व प्रसिद्द है।

 Khajuraho temple  खजुराहो के मंदिर अपना अलग ही महत्व रखते हैं, ये अपनी तरह के इकलौते मंदिर माने जाते हैं। दरअसल Khajuraho के मंदिर अपनी कामुक और निःवस्त्र मूर्तियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। हर साल लाखों देशी-विदेशी सैलानी इन्हें देखने पहुंचते हैं।who build khajuraho temple खजुराहो के मंदिरों का निर्माण 950 ई.से 1050 ई. के बीच चंदेला राजाओ के द्वारा कराया गया ,इस काल को चंदेल शासको का स्वर्णिम काल कहा जाता है।

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Image Source by | Google Image : Steve Silverman

 who discovered Khajuraho temple -खजुराहो के मंदिरो की खोज 19वी शताब्दी के एक ब्रिटिश सर्वेक्षक टी. एस. बर्ट ने की , उसने इन मंदिरो को खोजा और इनकी मरम्मत कराई ,लेकिन यदि प्रथम खोजकर्ता की बात की जाये तो इसका श्रेय अलबरूनी की जाता है जिसने 1022 में इन मंदिरो के बारे में लिखा इसके बाद इब्न बतूता  द्वारा इस मंदिरो के बारे में 1335 ई. के आस पास लिखा गया।

आपको बता दें खजुराहो में पहले 85 मंदिर थे, लेकिन अब 22 ही बचे हैं।वैसे तो इस बारे में एक राय नहीं मिलती। अलग-अलग विश्लेषकों ने अलग-अलग राय दी है, लेकिन जो मुख्य रूप से चार मान्यताएं हैं, जो इस प्रकार है।

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क्या कहती है पहली मान्यता

आपको बता दें कि कुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि प्राचीन काल में राजा-महाराजा भोग-विलासिता में अधिक लिप्त रहते थे। वे काफी उत्तेजित रहते थे, अत: उनकी कामुक उत्तेजना को दर्शाने हेतु इसी खजुराहो मंदिर के बाहर  नग्न एवं संभोग की मुद्रा में विभिन्न मूर्तियां बनाई गई हैं।

ये है दूसरी मान्यता

दूसरे समुदाय के विश्लेषकों का यह मानना है कि इसे प्राचीन काल में सेक्स की शिक्षा की दृष्टि से बनाया गया है।
ऐसा माना जाता है कि उन अद्भुत आकृतियों को देखने के बाद लोगों को संभोग की सही शिक्षा मिलेगी।
प्राचीन काल में मंदिर ही एक ऐसा स्थान था, जहां लगभग सभी लोग जाते थे। इसीलिए संभोग की सही शिक्षा देने के लिए मंदिरों को चुना गया।

तीसरी मान्यता 

तीसरी मान्यता के अनुसारकुछ विश्लेषकों का यह मानना है कि मोक्ष के लिए हर इंसान को चार रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है- धर्म, अर्थ, योग और काम।

ऐसा माना जाता हैकि इसी दृष्टि से मंदिर के बाहर नग्न मूर्तियां लगाई गई हैं। क्योंकि यही काम है और इसके बाद सिर्फ़ और सिर्फ़ भगवान की शरण ही मिलती है। इसी कारण इसे देखने के बाद भगवान के शरण में जाने की कल्पना की गई।

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Image Source by | Google Image : Dariusz Labuda 

खजुराहो  के मंदिर 

इस मंदिरो के बाहर ही काम क्रिया को दर्शाती हुई मुर्तिया स्थापित की गयी है कई विद्वानों की मान्यता है की इस मंदिर के केवल बाहर ही काम क्रिया की मूर्तिया है जबकि मंदिर के अंदर की तरफ एक भी कामुक मूर्ति नहीं है इसका मतलब ये माना  गया है की यदि कोई व्यक्ति भगवन की शरण में जाना चाहता है तो अपनी कामवासना को बहार ही त्याग कर जाये।

 प्रकार इस मंदिरो के द्वारा लोगो को एक प्रकार का सन्देश देने का प्रयास भी किया गया है ताकि लोग अपनी कामवासना को त्याग कर भगवान के दर्शनों को जाये।

why was khajuraho build  कुछ और ही कहती है चौथी मान्यता कुछ और लोगों का इन सबके अलावा इसके पीछे हिंदू धर्म की रक्षा की बात बताई गई है ,इन लोगों के अनुसार जब खजुराहो के मंदिरों का निर्माण हुआ, तब बौद्ध धर्म का प्रसार काफी तेज़ी के साथ हो रहा था जिस प्रकार बौद्ध धर्म का प्रचार हो रहा था उससे हिन्दू धर्म  की समाप्प्त होने का खतरा पैदा हो गया था। 

चंदेल शासकों ने हिंदू धर्म के अस्तित्व को बचाने का प्रयास किया और इसके लिए उन्होंने इसी मार्ग का सहारा लिया। उनके अनुसार प्राचीन समय में ऐसा माना जाता था कि सेक्स की तरफ हर कोई खिंचा चला आता है।
इसीलिए यदि मंदिर के बाहर नग्न एवं संभोग की मुद्रा में मूर्तियां लगाई जाएंगी, तो लोग इसे देखने मंदिर आएंगे। फिर अंदर भगवान का दर्शन करने जाएंगे। इससे हिंदू धर्म को बढ़ावा मिलेगा।

which god is there in khajuraho temple   खजुराहो के मंदिरो को भगवान शिव को समर्पित किया गया है  इसका सबसे बड़ा मंदिर Kandariya Mahadeo Temple  कांदरिय महादेव का मंदिर है। 

what is the meaning of khajuraho temple खजुराहो के मंदिरो को खजुराहो  के मंदिर कहने का सबसे बड़ा कारन यह है की इन मंदिरो के चारो और कभी बहु अधिक मात्रा में खजूर के पेड़ हुआ करते थे इसी कारन इसे khajuraho temple  को खजुराहो के मंदिर कहा जाता है।

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 एक अन्य मान्यता के अनुसार खजिरवाहिला से नाम पड़ा खजुराहो। इब्नबतूता ने इस स्थान को कजारा कहा है, तो चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपनी भाषा में इसे ‘चि: चि: तौ’ लिखा है।

अलबरूनी ने इसे ‘जेजाहुति’ बताया है, जबकि संस्कृत में यह ‘जेजाक भुक्ति’ बोला जाता रहा है। चंदरबरदाई की कविताओं में इसे ‘खजूरपुर’ कहा गया तथा एक समय इसे ‘खजूरवाहक’ नाम से भी जाना गया।
लोगों का मानना था कि इस समय नगर द्वार पर लगे दो खजूर वृक्षों के कारण यह नाम पड़ा होगा, जो कालांतर में खजुराहो कहलाने लगा।

खजुराहो में वे सभी मैथुनी मूर्तियां अंकित की गई हैं, जो प्राचीनकाल का मानव उन्मुक्त होकर करता था जिसे न ईश्वर का और न धर्मों की नैतिकता का डर था।
हालांकि रखरखाव के अभाव में एक ओर जहां ये मूर्तियां जहां नष्ट हो रही हैं, वहीं लगातार इन धरोहरों से मूर्तियोंकी चोरी की खबरें भी आती रही हैं।

what is the khajurao famous for  खजुराहो की प्रसिद्धि  कारण , खजुराहो के मंदिर दक्षिण भारत के छतरपुर जिले में हिंदू मंदिरों और जैन मंदिरों का एक समूह है। ये मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल हैं। मंदिर अपनी नागर शैली की स्थापत्य शैली और उनकी कामुक मूर्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। यही कारण है  के ये मंदिर काफी प्रसिद्द है।

Why is the kandariya Mahadeva temple one of the most famous temple in Khajuraho कांदरिया महादेव मंदिर प्रसिद्धि का कारन , वैसे तो खजुराहो के सभी मंदिर अपनी उच्च मूर्तिकला शिल्प के कारन प्रसिद्द है लेकिन कांदरिया महादेव का मंदिर अपनी उत्कृष्ट मूर्तिकला शिल्पकारी , अपनी ऊँची दीवारों और सबसे ज्यादा भगवान शिव का मंदिर होने के कारन काफी प्रसिद्द है , ये मंदिर खजुराहो के मंदिरो में सबसे बड़ा होने  के कारण वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा मिलने के कारन अधिक प्रसिद्द है।

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खजुराहो  मंदिरोंका निर्माण ईसा  की 900 से 1130 के आस पास चंदेला राजाओ के द्वारा कराया गया ,इस काल को चंदेला शासको का स्वर्णिम काल कहा जाता है।

why do temple have gopuram  गोपुरम को बनवाने का कारण  यह है की गोपुरम को मंदिर का प्रवेश द्वार कहा जा सकता है  जिसके बिना अंदर आना संभव नहीं  है गोपुरम को दक्षिण की द्रवड़ शैली और उत्तर की नागर शैली दोनों में बनाया जाता था। भारत के मंदिरो को बनाते समय अक्सर यक्ष यक्षिणि की मूर्तिया या गंगा जमुना शिल्प को प्रदर्शित किया जाता रहा था। 

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Image Source by | Google Image: Arian Zwegers


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how many of the temple of khajuraho exist today खजुराहो में आज कितने मंदिर सुरक्षित है और खजुराहो  के मंदिरो की सही सही संख्या का पता लगाना कठिन है लेकिन आज के समय में खजुराहो के ठीक अवस्था में मंदिरो की संख्या 25 है ,लेकिन बहुत से मंदिर अपनी  बहुत ही ख़राब स्थति में है यदि इन्हे सही संरक्षण नहीं मिला तो  ये खण्डर बन जायगे और लुप्त हो जायेगे।

खजुराहो की मुर्तिया  और उनका रहस्य अधिकतर धर्मों ने सेक्स का विरोध कर इसका तिरस्कार ही किया है जिसके चलते इसे अनैतिक और धर्मविरुद्ध कृत्य माना जाता है। धर्म, राज्य और समाज ने स्त्री और पुरुष के बीच के संपर्क को हर तरह से नियंत्रित और सीमित करने के अधिकतर प्रयास किए।

इसके पीछे कई कारण थे। इस प्रतिबंध के कारण ही लोग इस पर चर्चा करने और इस पर किसी भी प्रकार की सामग्री पढ़ने, देखने आदि से कतराते हैं लेकिन दूसरों से छिपकर सभी यह काम (?) करते हैं। समाज में बलात्कार के कारणों को ढूंढने का कोई प्रयास नहीं करता।

सेक्स न तो रहस्यपूर्ण है और न ही पशुवृत्ति। सेक्स न तो पाप से जुड़ा है और न ही पुण्य से। यह एक सामान्य कृत्य है लेकिन इस पर प्रतिबंध के कारण यह समाज के केंद्र में आ गया है।

 पशुओं में सेक्स प्रवृत्ति सहज और सामान्य होती है जबकि मानव ने इसे सिर पर चढ़ा रखा है। मांस, मदिरा और मैथुन में कोई दोष नहीं है, दोष है आदमी की प्रवृत्ति और अतृप्ति में।
कामसुख एक स्वाभाविक प्रवृत्ति है, लेकिन मनुष्य ने उसे अस्वाभाविक बना दिया है।

खजुराहो के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि कामकला के आसनों में दर्शाए गए स्त्री-पुरुषों के चेहरे पर एक अलौकिक और दैवी आनंद की आभा झलकती है।
इसमें जरा भी अश्लीलता या भोंडेपन का आभास नहीं होता। ये मंदिर और इनका मूर्तिशिल्प भारतीय स्थापत्य और कला की अमूल्य धरोहर हैं।

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इन मंदिरों की इस भव्यता, सुंदरता और प्राचीनता को देखते हुए ही इन्हें विश्व धरोहर में शामिल किया गया है।
खजुराहों में वे सभी मैथुनी मूर्तियां अंकित की गई है। 

जो प्राचीनकाल का मानव उन्मुक्त होकर करता था जिसे न तो ईश्वर का और न ही धर्मों की नैतिकता का डर था।
हालांकि इसका मूर्तिशिल्प लक्ष्मण, शिव और पार्वती को समर्पित मंदिरों का अंग है इसलिए इनके धार्मिक महत्व से इंकार किया जाता रहा है। 

चंदेल शासको के द्वारा मंदिरो के रूप में उन भावनाओ को दर्शाने का प्रयास किया गया है जिसे विश्व के हर एक काल में छुपाने का प्रयास किया गया है वास्तवम में खजुराहो के मंदिरो के अस्तित्व को नकारात्मक रुप में न लेकर सकारात्मक रूप में ग्रहण किया जाना चाहिए जो की शिक्षा देने के रूप में और परिवार को एक बंधन में बंधे रहने के लिए एक शिक्षित करता है। 

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खजुराहो नृत्य महोत्सव  (25 फरवरी - 02 मार्च):

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जैसा की आप जानते है  मंदिरों का निर्माण 250 से 1050 ईस्वी के बीच चंदेला राजवंश के दौरान किया गया था। खजुराहो मंदिर वास्तुकला और मूर्तिकला के बीच एक आदर्श संतुलन बनाते हैं। वर्ष 1986 में, यूनेस्को ने मंदिरों के इस समूह को एक विश्व धरोहर स्थल का नाम दिया। खजुराहो मंदिर सांस्कृतिक भारत के पर्यटन पर भारत आने वाले पर्यटकों के बीच बहुत प्रसिद्ध हैं।

प्रत्येक वर्ष फरवरी - मार्च में, खजुराहो नृत्य महोत्सव का आयोजन कला परिषद द्वारा मध्य प्रदेश सरकार के अधीन किया जाता है। मध्य प्रदेश के खजुराहो में इस नृत्य उत्सव के दौरान पूरे भारत के लोकप्रिय शास्त्रीय नर्तकियां नृत्य करती हैं , इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य भारत की सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक नृत्यों को बढ़ावा देना है।

मध्य परदेश में इस सप्ताह लंबे उत्सव के दौरान विदेशी नर्तक भी प्रदर्शन करने के लिए यहाँ आते हैं। कथक, कुचिपुड़ी, ओडिसी और भरतनाट्यम, मणिपुरी जैसे शास्त्रीय नृत्यों के लाइव प्रदर्शन इन नृत्य समारोहों का मुख्य आकर्षण केंद्र हैं। खजुराहो नृत्य का त्योहार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय नर्तकियों और अकादमियों द्वारा मान्यता प्राप्त है , खजुराहो महोत्सव नृत्य जैसे शास्त्रीय नृत्यों के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भारत आते रहते हैं।

हर साल फरवरी और मार्च के महीनों में, मध्य प्रदेश में खजुराहो नृत्य उत्सव चित्रगुप्त और विश्वनाथ मंदिर के सामने होता है। दोनों  मंदिर क्रमशः सूर्य गोवा और भगवान शिव को समर्पित हैं , ये  मंदिर मंदिरों के पश्चिमी समूह में स्थित हैं, जो खजुराहो में मंदिरों के सभी समूहों में सबसे बड़ा और आसानी से सुलभ भाग है।

खजुराहो मध्य प्रदेश नृत्य महोत्सव के पीछे मुख्य विचार खजुराहो की सांस्कृतिक विरासत को वर्तमान समाज से संबंधित बनाना और इसे आने वाली पीढ़ी के लिए सुरक्षित करना है। इस अवसर पर, कई प्रसिद्ध कलाकार और शिल्पकार कार्यशालाओं और सेमिनारों में भाग लेते हैं और कई आगंतुकों को अपनी कला प्रस्तुत करते हैं। और इस 7 दिनों के त्योहार के दौरान, एक खुले मैदान में एक बाजार लगता है जहां आगंतुक खजुराहो के स्थानीय निर्मित लेख प्राप्त कर सकते हैं। यह त्योहार न केवल हमारे देश में बल्कि दुनिया के बाहर भी व्यापक रूप से जाना जाता है।

खजुराहो के  प्रत्येक प्राचीन भारतीय स्मारक को पत्थर की कविताओं (Sculptures)  में चित्रित किया गया है और काल्पनिक रूप से मूक मूर्तियों में रचा  गया है जो भावनात्मक रूप से लंबे समय से खोए हुए प्रेम और कामुकता की कहानी को चित्रित करते हैं यह  रहस्य बताता है।

मध्य भारत में खजुराहो महोत्सव में भाग लेना विदेशी पर्यटकों के लिए भारत और स्वदेशी लोगों के लिए विशेष आकर्षण है; खजुराहो के मंदिरों के साथ इस वार्षिक सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, जिसमें भारत के सभी हिस्सों के शास्त्रीय नृत्य कलाकार और विशेषज्ञ संगीतकारों ने कविता में आश्चर्य, सौंदर्य और कविता के आनंद को प्रस्तुत करने के लिए आयोजन किया जाता है यह वास्तव में प्राचीन यादें और गाथाये है जो आज तक जिंदा है और हमेशा रहेगी। 

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Khajuraho Khajuraho Reviewed by Easenex on अप्रैल 29, 2020 Rating: 5

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