भीमबेटका गुफा स्थान
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Bhimbetka ; Bhimbetka Cave Art #
भीमबेटका, मध्यप्रदेश के रायसेन जिले मेंउत्तर प्रदेश, भारत के ठीक मध्य में सबसे प्रसिद्ध रॉक कला क्षेत्र है 2003 में यूनेस्को की विश्व विरासत सूची शामिल किया भीमबेटका कोर क्षेत्र विंध्य के भीतर पांच पहाड़ियों को कवर करते हुए 1892 हेक्टेयर में फैला हुआ है।
हिल्स, जिनका नाम विनायका, भोंरावली, भीमबेटका, लखाजार पूर्व और लखाजार पश्चिम हैऔर बीस से कम चित्रित आश्रय हैं जिनमे केवल भीमबेटका पहाड़ी आसानी से देखी जा सकती है। यह रोजाना जनता के लिए खोला जाता है।
हिल्स, जिनका नाम विनायका, भोंरावली, भीमबेटका, लखाजार पूर्व और लखाजार पश्चिम हैऔर बीस से कम चित्रित आश्रय हैं जिनमे केवल भीमबेटका पहाड़ी आसानी से देखी जा सकती है। यह रोजाना जनता के लिए खोला जाता है।
इन शैल चित्रों की खोज वीएस वाकणकर ने 1957 में की थी जब उन्होंने कुछ अनोखी चट्टान देखी जिन्हे बाद में भीमबेटका नाम दिया गया।भीमबेटका
को पहली बार भारतीय पुरातत्व अभिलेखों में 1888
में एक बौद्ध स्थल के
रूप में उल्लेख किया गया था,
जो स्थानीय आदिवासियों
से मिली जानकारी के आधार पर था। बाद में,
वी। एस। वाकणकर उन्होंने कुछ और रॉक संरचनाओं को
देखा, उन्होंने पुरातत्वविदों की एक
टीम के साथ क्षेत्र का दौरा किया और 1957
में कई प्रागैतिहासिक
रॉक आश्रयों की खोज की।
Bhimbetka Cave |
भीमबेटका चट्टान में कई कलाओ की रचनाये हैं।शिकार, लड़ाई, नृत्य और पारिवारिक जीवन के कई दृश्य शामिल हैं उनमें से महिलाओं को शिकारी के रूप में दिखाया गया है युद्ध के दृश्य और योद्धा के और घोड़े सवार हाथी,पैदल चलने वालों के रूप में दर्शया गया है।
भीमबेटका गुफा विशेषताए
Bhimbetka Bhimbetka Cave #
भीमबेटका के चित्र इस गुफा की सबसे बड़ी विशेषता है ये
चित्र उस समय के खानाबदोशों के जीवन को दर्शाते हैं, जो
मानव बस्ती का प्रतीक है, उनका सांस्कृतिक विकास, शिकारी-संग्रहकर्ताओं की जीवन शैली में परिवर्तन और कृषि और
मानव मन का विकास को दर्शाता है।
इन गुफाओ में नृत्य और संगीत का प्रतिनिधित्व सांस्कृतिक दृश्यों में किया गया है। आमतौर पर, पुरुष और महिलाएं दर्शायी गई हैं या तो नाचते हुए या तो हाथ में हाथ डालकर दिखाया गया है या पंक्तियों या मंडलियों में संगीतकारों के साथ ड्रम जुड़े हुए हैं ,नर्तकियों को कभी-कभी मार्चिंग सैनिकों के साथ दर्शया गया है।
इन चित्रों में पारिवारिक जीवन के दृश्य व् एक गर्भवती को भी दर्शाते हैं महिलाए , विभिन्न उम्र के 3 से 4 बच्चे
नकाबपोश लड़के दौड़ते हुए, नकाबपोश लोग दौड़ते हुए, एक जोड़े एक कामुक मुद्रा में दिखया गया है और
इनमे कुछ चित्र पुराणिक हैं जैसे गणेश और शिव जैसे हिंदू देवता और स्वस्तिक, नंदी (पवित्र बैल) जैसे प्रतीक
और त्रिशूल।
नकाबपोश लड़के दौड़ते हुए, नकाबपोश लोग दौड़ते हुए, एक जोड़े एक कामुक मुद्रा में दिखया गया है और
इनमे कुछ चित्र पुराणिक हैं जैसे गणेश और शिव जैसे हिंदू देवता और स्वस्तिक, नंदी (पवित्र बैल) जैसे प्रतीक
और त्रिशूल।
Bhimbetka Cave Art |
भीमबेटका गुफा का कला लेखन
Bhimbetka Bhimbetka Cave Art #
चट्टान में कला के विभिन्न समूहों से संबंधित हथियार है, जैसे हथियार (धनुष और तीर, भाले लाठी औरजाल)
रॉक आर्ट, पुरुषों और महिलाओं को दिखाया गया इन चित्रों में नग्न आकृतिया भी दर्शयी गयी है लेकिन बाद की अवधि में मानवीय चित्र कुछ प्रकार के वस्त्र पहने थे इन गुफाओ में कई चित्र दर्शाये गए है जैसे महिला शिकारी,
संगीत वाद्ययंत्र झोपड़ियां और तंबू आदि गुफाओं के शिलालेख भिक्षुओं और अन्य रहने वाले भिक्षुओं के साथ जुड़े हुए हैं।
भीमबेटका शैल चित्रों को तीन मुख्य शैलियों में विभाजित किया गया है वकांकर शैली ,12 उप-शैलियों में और फिर मठपाल शैली। वास्तव में ये एक प्रकार की ज्यामितीय आकृतिया है जैसे सिल्हूटेड, सजावटी उभरी हुई आंशिक रूप से उभरी हुई प्राकृतिक शैलियाँ जो की एक ज्यामितीय दृष्टिकोण को दर्शाती है।
भीमबेटका गुफा रंग प्रयोग
Bhimbetka
भीमबेटका आश्रयों में हम पत्थर और मिट्टी की दीवारों के अवशेष देख सकते है जो ; हेमटैट और सफेद मिट्टी के बने है जो कई कुछ गुफा की दीवारों को कोट करती है इन चित्रों में हिंदू धार्मिक रूपांकनों और शिव और गणेश की छवियां हैं। कुछ चित्र शायद साधुओ( hermits) द्वारा बनाए गए हैं और कुछ सौ सालो के बाद तक इन गुफाओ का प्रयोग रहने पूजा आश्रय के लिए किया जाता रहा होगा।
अधिकतर पेंटिंग लाल या सफेद रंगों में की गयी हैं लेकिन कभी-कभार नीले हरे और पीले रंगों का भी उपयोग किया गया है। हरे रंग की पेंटिंग सबसे पुरानी प्रतीत होते हैं क्योंकि वे केवल टुकड़ों में संरक्षित हैं इन रंगो को खनिजों से प्राप्त किया जाता था।
इन रंगो को पत्थर ,खनिज , प्राकृतिक पेड़ पौधो मिट्टी आदि पदार्थो से प्राप्त किया जाता था इन रंगो में कई अन्य रंगतो को मिलाकर अन्य रंगों को तैयार किया जाता रहा होगा ऐसा
उपयोग की जाने वाली मुख्य सामग्री हेमेटाइट थी या
गेरू जो स्थानीय भूवैज्ञानिक संरचनाओं में आसानी से उपलब्ध था। जिनके द्वारा बीस से अधिक hematite रंगो को बनाया जा सकता था , उनमें से कई के साथ रंगो लिए उन्हें पीसकर अन्य खनिजों के साथ मिला के रंगो का निर्माण किया जाता था।
Bhimbetka
Bhimbetka Cave Art-Painting |
वास्तव में, ये गुफा चित्र भीमबेटका के प्रमुख आकर्षण हैं और ऑस्ट्रेलिया के सवाना क्षेत्रों के आदिवासी शैल चित्रों की समानता दर्शाते हैं, चूंकि ये गुफाएं वास्तव में विभिन्न युगों से संबंधित आदिम लोगों के लिए आवास का निर्माण करती हैं, इसलिए यहां के चित्र उनकी जीवन शैली और सांसारिक रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रदर्शित करते हैं। रंगों के आविष्कारशील डिजाइन और घाटियाँ हैंडलिंग ने हमारे पूर्वजों की दूरस्थ गतिविधियों को जीवंत कर दिया है।
Bhimbetka Bhimbetka Cave Art
चित्रों को पतले
ब्रश से बनाया गया था, जो संभवत: टहनियों से बना था।जानवरों के
चित्रण में अधिक से अधिक यथार्थवाद दिखाया गया हैआमतौर पर,पहले के चरणों में, पशु और मानव शरीर दर्शया गया बाद के चरणों में, पशु शरीर को ज्यामितीय पैटर्न से सजाया गया था। जालीदार डिज़ाइन
और लहरदार रेखाएँ। शुरुआती चित्रों में भी, ड्राइंग तकनीक की
काफी महारत हासिल की थी जिसे स्वतंत्र स्ट्रोक के रूप में देखा जाता है।
कोई भी पेंटिंग एक
समय अवधि या संस्कृति से संबंधित नहीं हैं। वास्तव में,वे लगभग दस हजार साल की अवधि में बनाये गए थे, और इसलिए,कोई भी आसानी से इन शैली और विषय-वस्तु में
बदलाव देख सकता है, की किस तरह से उन पुरुषों का जीवन जिन्होंने उन्हें
बदल दिया।
BhimbetkaBhimbetka Cave Art |
इन गुफाओ में प्रयोग किये गए रंग मैंगनीज, हेमटिट, नरम लाल पत्थर लकड़ी के कोयले, पौधों की पत्तियों और पशु वसा का एक संयोजन हैं। इन रसायनों ने समय के साथ चट्टानों पर प्रतिक्रिया की और भीमबेटका की इन बहुमूल्य कलाकृतियों को संरक्षित करने में योगदान दिया। जो समय के साथ मजबूती के साथ स्थिर हो गए है ।
इन चित्रों में जानवरों के विशाल रेखीय आंकड़े पैलियोलिथिक चित्रों के ट्रेडमार्क हैं। समय बीतने के साथ, चित्र छोटे, सटीक और अधिक नाजुक होते गए और कई चित्र तो एकदम ख़राब हो गए है जो बच गए है उन्हें संरक्षण की आवश्यकता है वास्तव में ये चित्र हमारे पूर्वजो की वे निशानिया है जिन्हे हमें सहेज कर रखने की आवश्यकयता है ये उन दिनों की याद दिलाते है जब मानव ने जीना सीखना शुरू किया था।
जब जंगल ही उनका घर हुआ करता होगा वह खेती बाड़ी सामान्य रहन सहन मोटर गाड़ी और आधुनिक घरो से दूर एक जंगली जीवन जीने को मजबूर था ये उनदिनों के रीती रिवाजो अंधविश्वासो आदि के बारे में एक दस्तावेज के रूप में दीवारों पर गुंदे हुए है जो हमें उस समय में ले जाते है जहा से हमने शायद चलना शुरू ही किया होगा।
ये उन दिनों के संगीत नृत्य धार्मिक कर्म कांडो रीती रिवाजो की याद् दिलाते है जब मानव लगभग धरती पर उतरा ही होगा। इसलिए इन्हे सहेज के रखना हमारा परम कर्त्तव्य है।
लोगो के द्वारा पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न
भीमबेटका को किस के द्वारा खोजा गया ?
इन गुफाओ को वी. एस. वाकणकर के द्वारा जो के पुरातत्वविद थे के द्वारा 1957 - 58 के आस पास खोजा गया था उनके द्वारा कई वर्ष जंगलो में बिताये गए ताकि भीमबेटका गुफाओ का अध्ययन ठीक प्रकार से किया जा सके और एक सटीक जानकारी लोगो के सामने लायी जा सके।
भीमबेटका की गुफाये महत्वपूर्ण क्यों है ?
ये गुफाये दस हजार साल साल पुराने इतिहास को दर्शाती है, ये गुफाये पूर्व ऐतिहासिक जीवन को दिखती है जब मानव धरती पर जीना सीख रहा था शिकार करना झुंड बना कर रहना भोजन को इकठ्ठा करना इनकी दिन चर्या थी वास्तव में यह हमारे पूर्वजो द्वारा दिए गए दस्तावेज है जो हमें उनकी याद दिलाते है।
भारत में सबसे पुरानी गुफाये कौन सी है ?
भीमबेटका की गुफाए भारत में सबसे ज्यादा पुरानी है जिन्हे वी. एस. वाकणकर के द्वारा जो के पुरातत्वविद थे के द्वारा 1957 - 58 के आस पास खोजा गया था यही नहीं इन गुफाओ में बनायीं गयी पेंटिंग्स भी भारत में बनायीं गयी पेंटिंगों में सबसे पुरानी हैं।
लेकिन अगर हम बात करे विश्व की सबसे पुराने गुफा चित्रों की तो ये भारत में नहीं बल्कि पश्चिमी यूरोप के सुलावेसी और इंडोनेशिया छेत्रो में पाये गए है जिनकी अवधि वैज्ञानिको द्वारा लगभग 44000 साल से भी ज्यादा बताई गयी है जिनमे बनायीं गयी पेंटिंग्स भारत की सबसे पुरानी पेंटिंगों में मानी जाती है। और अधिक जानकारी के लिए आप विकिपीडिया पर जा सकते है।
भीमबेटका गुफाये कहाँ है
भीमबेटका की गुफाये मध्यभारत की विध्य रेंज की तलहटी में प्राकृतिक नजरो के मध्य स्थित है यह मध्य प्रदेश में भोपाल से लगभग 45 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है।
भीमबेटका का क्या अर्थ है ?
भीमबेटका का अर्थ है भीम की बैठक भीम जो की महाभारत के पांच पांडवो में से एक थे उन्ही के नाम पर इन गुफाओ का नाम भीमबेटका रखा गया है।
नृत्य करते चित्रों की समय अवधि क्या है ?
इन गुफाओ में पाए गए चित्रों की एकदम सही अवधि को बता पाना सरल नहीं है फिर भी इन गुफाओ में पाए गए चित्रों में सबसे पुराने नृत्य चित्र लगभग 10,000 साल पुराने है , इन गुफाओ में कई चित्र तो ऐसे है जो की मध्यकाल से सम्बंधित है इससे ये साबित होताहै की इन गुफाओ में बनाये गए सभी चित्र एक ही समय से सम्बंधित नहीं है।
भारत में पूर्व ऐतिहासिक शैल चित्र कहाँ कहाँ पाए जाते है ?
भारत में मध्य प्रदेश ,उत्तर प्रदेश ,आंध्र प्रदेश ,तेलांगना ,केरला ,उत्तराखंड ,बिहार और उड़ीसा राज्यों में शैल चित्र पाए गए है जो की गुफाओ की दीवारों चट्टानों ,पत्थरो आदि पर पाए गए है।
मानव ने इन गुफाओ को ही रहने के लिए क्यों चुना ?
मानवो द्वारा इन गुफाओ को रहने के लिए चुनने के कई कारन हो सकते है जैसे
आश्रय के रूप में ठण्ड, तूफान, बारिश जंगली जानवरो से झुण्ड की सुरक्षा , गुफाये एक प्रकार के बने बनाये घर के रूप में थी कुछ गुफाये काफी बड़ी होती थी जहां बड़ी मात्रा में मानवो के झुण्ड रह सकते थे।
इन गुफाओ को आद्यात्म के रूप में भी प्रयोग किया जाता रह है और आज भी किया जाता है जो की धर्म ईश्वर के एक स्थान के रूप में उपलब्ध कराते है।
गुफा चित्रों को सबसे पहले किसके द्वारा बनाया गया ?
वैज्ञानिको का अनुमान है के सर्वप्रथम निएंडरथल मानवो द्वारा गुफाओ को कैनवास की तरह पेंटिंग के लिए इस्तेमाल किया गया ,लगभग 64000 साल पुरानी एक पेंटिंग स्पेन की एक गुफा में पायी गयी है जो की लाल लकीरो से बनायीं गयी है इसलिए संभवतः ये कहा जा सकता है की सबसे पुराने पेंटर निएंडरथल मानव है।
भीमबेटका गुफा चित्र कितने पुराने हैं ?
भीमबेटका गुफा में पाये गए चित्र प्रागेतिहासिक काल में बनाये गए चित्रों को तुलना में 10,000 वर्ष पुराने है जो की मानवो द्वारा किये गए शिकार ,नृत्य और उन पशुओ के चित्रो को दर्शाते है जो उस दौरान पाये जाते थे और उस जीवन शैली को दर्शाता है जो उनके द्वारा उन दिनों की जाती थी।
गुफा मानवो ने गुफाओ में पेंटिंग्स क्यों बनाई ?
कई अनुमानों के आधार पर कहा जा सकता है की शायद अपने संघर्ष को दर्शाने के लिए शिकार में मिली सफलता का जश्न बनाने और अपनी जीत को दिखाने के लिए इस प्रकार के चित्रों को बनाया जाता था ,आदि मानव एक अन्धविश्वासी था जो अपने देवता या आत्माओ को खुश करने के लिए भी पेंटिगों को बनाया होगा।
पहली कला कौन सी थी ?
सबसे पुरानी सुरक्षित मानव कला जो उत्तर पुरापाषाण के दौरान की तारीखो में पायी गयी है लगभग 70,000 हजार साल पुरानी है लेकिन देखा जाये तो ईसा से लगभग 40,000 साल पहले पायी जाने वाले चित्रों को, जो गुफाओ में पाये गए है को ही निश्चित रूप से कला माना गया है जो की होमोसेपियन मानवो द्वारा बनाये हुए लगते है लेकिन इनसे पहले की बात की जाये तो शेल या पत्थरो पर भी चित्रों को बनाया गया था जो की स्पष्ट नहीं है।
कला का पिता किसे कहा जाता है ?
पॉल जॉन (PAUL CEZANNE) को आधुनिक कला के पिता होने का श्रेय दिया जाता है उनके द्वारा दिया गया ज्ञान और कला से बहुत से कलाकार प्रेरित हुए ,पॉल जॉन अपने समय के सबसे प्रसिद्द कलाकारों में गिने जाते है , अपने समय के सबसे प्रसिद्द कलाकार पिकासो ने भी उन्हें अपने गुरु के रूप में स्वीकर किया है।
सबसे प्राचीन कला कितनी प्राचीन ( पुरानी ) है ?
पुरातत्वविदों का मानना है की उन्होंने विश्व की सबसे प्राचीन कला की खोज कर ली है जो कम से कम 45,500 वर्ष प्राचीन है जो की इंडोनेशिया द्वीप पर सुलावेसी नामक क्षेत्र में पायी गयी है जो की गहरे रंग में बने हुए तीन सुअरो की आक्रति है लेकिन इसे ही सबसे प्राचीन कलाकृतियों में नहीं गिना जा सकता है क्योकि समय समय पर और भी पुरानी कलाओ की खोज हो रही है और इन पर अनुसन्धान जारी है।
विश्व का सबसे प्रसिद्द पेंटर कौन है ?
यदि विश्व के सबसे प्रसिद्द पेंटर की बात की जाये तो सबसे पहले लियनार्डो डा विन्ची (1452-1519) का नाम आता है जिन्हे विश्व की सबसे प्रसिद्द पेंन्टिंग मोनालिसा और लास्ट सपर बनाने का श्रेय जाता है।
कला के कितने प्रकार है ?
कला को सात रूपों में विभाजित किया गया है चित्रकला,वास्तुकला,मूर्तिकला, साहित्य, संगीत, प्रदर्शन और सिनेमा और इनके अंतर्गत भी आने वाली उपकलाये है जैसे संगीत की उपकलाये दादरा, ठुमरी और नृत्य की भरतनाट्यम मोहिनीअट्टम आदि।
ड्राइंग और पेंटिंग की शुरुआत कैसे हुई ?
यदि रेखा चित्रों की बात की जाये तो इनकी शुरुआत ईसा से 30,000 साल पहले हुई वास्तव में चित्रों के कई रूप और शैलिया है जैसे नक्काशीदार जमीं पर बनायीं जाने वाली दीवारों पर बनायीं जाने वाली ,जब मंदिरो और कब्रों पर नक्काशीदार सजावटी फूल पत्तिया और रोजमर्रा के दैनिक जीवन को दर्शाया जाने लगा।
पहली ड्राइंग किसके द्वारा बनायीं गयी ?
ड्राइंग की खोजने का श्रेय क्रिस्टोफर हैंसिलवुड को दिया जाता है , जो नार्वे के विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग में प्रोफेसर थे उनके सहयोगी ब्लॉमबोस को एक अभियान के दौरान गुफाओ व् पत्थरो पर कुछ कलाकृतिया के सरक्षण करने के लिए जाना जाता है।
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Bhimbetka Cave Art-Paintings
Reviewed by Easenex
on
मार्च 13, 2020
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