What is fine art, hindi

What is fine art #

फाइन आर्ट क्या है 


आर्ट की  वे सभी फॉर्म नाच स्कल्प्चर,sculpture ,संगीत, ड्राइंग पेंटिंग,drawing and panting जिनके द्वारा कोई व्यक्ति अपने भावो को व्यक्त करता है आर्ट कहलाती है

फाइन आर्ट में किसी जिवंत प्राणी ,नेचर ,लैंडस्केप अदि को रंगो के माध्यम  से दर्शाया जाता है सभी में कोई न कोई सब्जेक्ट वैरी करता ,जैसे नदी, पहाड़ कोई व्यक्ति,जंगल का दृश्य ,इसके और भी सब्जेक्ट हो सकते है

what-fine-art-hindi
Fine Art
भारत में मुग़ल  काल के समय फाइन आर्ट को काफी प्रसिध्दि मिली जिनमे  जहाँगीर अकबर जैसे  राजाओ द्वारा कलाकारों को आश्रय दिया गया जहाँ कला काफी फली फूली।

इसके आलावा बहुत सी शैली ऐसी हैं जिनमे मारवाड़ शैली ,बीकानेरी शैली पहाड़ी शैली ,कांगड़ा शैली ,तंजोर शैली ,मैसूर शैली मसहूर  शैलिया है

मधुबनी शैली के चित्र बहुत ही वैचारिक मने गए है । चित्रकार पर पहले विचार होता है और फिर पेंटिंग के माध्यम से अपने विचारों को प्रस्तुत किया जाता है। इन तस्वीरों में कोई बनावटीपन नहीं दिखयी देता है। ये रेखाओं और रंगों में व्यक्त चित्र होते हैं।

मधुबनी शैली 

अक्सर ये पेंटिंग गांवों या घरों की दीवारों पर कुछ विशेष अनुष्ठानों या त्योहारों के अवसर पर या जीवन की विशेष घटनाओं के दौरान बनाई जाती रही हैं और आज भी बनायीं जाती है  इन चित्रों में ज्यामितीय आकृतियों के बीच खुली जगहों को भरने के लिए जटिल फूलों की पत्तियों, जानवरों और पक्षियों को बनाया जाता है। कुछ मामलों में ये तस्वीरें माताओं द्वारा अपनी बेटियों के विवाह के अवसर पर विशेष रूप से तैयार की जाती हैं।

ये तस्वीरें खुशहाल शादीशुदा जीवन जीने के तरीके भी दिखती हैं। ये पेंटिंग रंगों के विषय और उपयोग में भी एकदम अलग हैं। चित्रों में प्रयुक्त रंग यह दर्शाते हैं कि ये चित्र किस समुदाय के हैं और उच्च वर्ग द्वारा बनाए गए चित्र अधिक रंगीन होते हैं जबकि लाल और काली रेखाओं का उपयोग चित्रों में निम्न वर्ग द्वारा प्रयोग किया जाता रहा लेकिन अब ऐसा नहीं है।

मधुबनी कला शैली गांव की महिलाओं द्वारा अपनी बेटियों के लिए श्रम को दर्शाने के रूप से भेट की जाती है। आजकल मधुबनी कला का उपयोग सजावटी सामान जैसे उपहार, ग्रीटिंग कार्ड इत्यादि बनाने के लिए बहुतायत में किया जा रहा है और यह स्थानीय ग्रामीण महिलाओं के लिए आय का एक अच्छा स्रोत भी रहा है।


मारवाड़ शैली 

इस प्रकार की शैली राजस्थान के बीकानेर और जोधपुर जैसे छेत्रो में की जाती है। इस प्रकार की शैली में राजस्थान की छाप  दिखाई देती है 15वि और 16वि शताब्दी के के दौरान राजपूत राजाओ के द्वारा इस प्रकार की कला को संरक्षण दिया गया ,इस कला में मुग़ल कालीन प्रभाव भी दिखाई देता है ,मारवाड़ शैली में पंचतंत्र ,दुर्गा चित्र ,शिव पुराण ,श्री कृष्ण जैसे विषयो को दिखाया गया है। 

राजस्थानी शैली 


इस प्रकार की शैली में राजपूत राजाओ का प्रभाव दिखाई देता है इस कल के कलाकारों को राजपूत राजाओ के द्वारा संरक्षण दिया गया।
इस शैली में मुग़ल कालीन कला का भी प्रभाव दिखाई देता है कुछ मुस्लिम कलाकारों को राजपूत दरबार में शरण  दी गयी इस शैली मे कृष्ण एवं उनकी लीलाओ को प्रमुखता से  दिखाया गया है ,इसके आलावा युद्ध के दृश्य ,पूजा करते हुए महिलाये रामायण ,महाभारत ,पुराण जैसे द्रश्यो को दिखाया गया है। 

किसनगढ़ शैली 

 इस  शैली में राधा और कृष्ण की लीलाओ को दर्शया गया है ,इस प्रकार की  चित्रकला में सबसे प्रसिद्ध चित्र बनी ठनी  एक सुंदर और आभूषणो से सजी हुई महिला का चित्र है ,इस शैली में राधा कृष्णा के आलावा कामुक चित्रों को भी बनाया गया है।
कुछ कलाकारों द्वारा बनी ठनी को राधा के रूप में भी देखा जाता है ,इन कलाओ में जिन मानव आकृतिओं को दिखाया गया है ,नुकीली आखे नुकीली थोड़ी बहुत सजावट के साथ दिखआया गया है। 

बीकानेरी शैली 

बीकानेरी शैली मुग़ल कालीन शैली और राजस्थानी शैली का एक मिलाजुला रूप है ,इसके अंतर्गत मुग़ल कला और राजपूत कला का मिश्रण है 16 वि 17 वि और 18 वि शताब्दी के दौरान यह एक दरबारी आर्ट के रूप में प्रसिद्धि मिली ,मंदिरो में इस प्रकार की कला का बेहतर प्रयोग किया गया ,बीकानेरी शैली मे शुरुआती कला चित्र मुग़ल कलाकारों द्वारा  बनाये गए।


What-fine-art-hindi
    


कांगड़ा शैली 

इस शैली का निर्माण मुग़ल कलाकारों के द्वारा किया गया ,जब मुग़ल साम्राज्य का पतन हुआ तो बहुत से मुग़ल कलाकार काँगड़ा छेत्र में चले गए इस दौरान इन कलाकारों को राजा गोवर्धन द्वारा संरक्षण मिला ,राजा संसार चंद के शासन काल में ये कला अपने चरम पर पहुंच गयी थी। इनके लोकप्रिय विषय भगवत पुराण ,बिहारीलाल की सतसई ,गीत गोविन्द आदि थे।

पहाड़ी शैली 

इस प्रकार की कला का प्रचलन  मुग़ल कल में हुआ ये हिमालय की पहाड़ियों में छोटे-छोटे राज्यों जम्मू कश्मीर, हिमांचल ,अल्मोड़ा जैसे स्थानो  में हुआ इस प्रकार की कला को जम्मू शैली ,डोगरी शैली ,कांगड़ा शैली जैसे समूहों में बांटा  जा सकता है। इस कला के अंतर्गत नेचर ,साहित्य , पौराणिक कथाये महाभारत जैसे विषयो को शामिल किया जाता था

तंजोर शैली 

इस शैली का विकास उत्तर भारत में हुआ ,इस शैली के चित्रों को कपड़े ,चमड़ा ,कांच ,लकड़ी जैसे सतहो  पर किया जाता था,इस कला में अलंकार पर विशेष बल दिया जाता था ,रत्न, सोने जैसे तत्वों का प्रयोग भी किया जाता था ,इस कला की खास बात यह है की इसमें कृष्ण की लीलाओ का मुख्य रूप से दिखाया गया है यह कला आज भी जीवितहै।

मैसूर शैली 

मैसूर राज्य में फैलने फूलने के कारन इसे मैसूर शैली कहा गया ,इस शैली में हिन्दू देवी देवताओं ,जानवरो आदि का चित्रण किया जाता था ,इस कला में दो या दो से अधिक देवी देवताओ का चित्रण किया जाता था ,इनमे भी एक  प्रधान चित्र होता था। 

इन चित्रों में चमक प्रदान करने के लिए जिंक और एक प्रकार की गोंद  का प्रयोग किया जाता था ,जिससे चित्रों में एक प्रकार की चमक पैदा होती थी। ब्रिटिश काल तक इस शैली ने अपनी चमक बनाए रखी। 


पेंटिंग के टिप्स   Painting tips #


जब खाली कैनवास का उपयोग पेंटिंग के लिए किया जा सकता है, आपको इसे बहुत सावधानी से करना होगा। आपका विचारों से भरा होना पर्याप्त नहीं है। यदि आप सही रास्ते पर होना चाहते हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप कैनवास पर पेंटिंग के लिए निम्नलिखित उपायों का उपयोग करें जैसे।

1.# अपने कैनवास तैयार करना 

सबसे पहले, आपको एक पूर्व-विस्तारित कैनवास को तैयार करना चाहिए या आपके पास पहले से ही एक तैयार कैनवस होना चाहिए। आपका अगला कदम इसे प्राइम कलर करना है। अक्सर, आप इस उद्देश्य के लिए स्प्रे का उपयोग कर सकते हैं। यह कई प्रकार में मार्किट में उपलब्ध है और इसे  तेल पेंट, टेम्परा या ऐक्रेलिक के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है।

 स्प्रे कैनवास की सुरक्षा करता है और पेंटिंग की सतह को बेहतर बनाता है। नतीजतन, आपको उस काम के लिए कम मात्रा में पेंट का उपयोग करना होगा जो आप करना चाहते हैं। कलर का संयम से उपयोग करने से आपको पैसे की अच्छी बचत होगी।

2.# मूड सेट करें

इसके अलावा, एक और बढ़िया विकल्प मूड सेट करने के लिए कैनवास पर एक निश्चित कोट लागु करना है। उदाहरण के लिए, एक तेज सफेद रुखा  कैनवास पेंटिंग के लिए सही विकल्प नहीं हो सकता है। दूसरी ओर, ब्लिश-ग्रे का एक साधारण कोट आपके वांछित रूप के लिए एक मूडी सतह प्रदान कर सकता है, जो कि आप चाहते हैं।

3.कैनवास ,कलर अप्लाई 

आपको पहले कार्यस्थल पर निर्णय लेना चाहिए। कैनवास सीधा हो सकता है या इसे आपके पैलेट के पास एक सपाट सतह पर रखा जा सकता है। आपको बस इतना करना है कि सही चुनाव करके अपने काम को बहुत आसान बना दें।आप पेंटिंग की आपूर्ति [ साधन ] तैयार करे । जिन चीजों की आपको आवश्यकता होगी, उनमें पानी, पैलेट चाकू और पेंट ब्रश शामिल हैं।

4.सही ब्रश चुनें

कुछ ब्रश कैनवास पेंटिंग के लिए बेहतर काम करते हैं। उदाहरण के लिए, आप हार्ड कैनवास सतहों पर वाटर कलर ब्रश का उपयोग नहीं कर सकते। ये ब्रश बहुत नरम होते हैं और इनका उपयोग  कठोर सतहों पर नहीं किया जा सकता है। आम तौर पर, ऑयल पेंट ब्रश या ऐक्रेलिक ब्रश बेहतर विकल्प होते हैं। वे stiffer bristles और लंबे हैंडल के साथ आते हैं।

5.अंडरपेंटिंग का प्रयास करें

आमतौर पर, कैनवास का उपयोग गैर-पारदर्शी पेंट के लिए किया जाता है। हालाँकि, वे आपके लिए एक शानदार पेंट को अप्लाई करने में मदद करते हैं। तथ्य से अलग ये आपको एक रूपरेखा बनाने की मदद करताहै है जो कला के टुकड़े में एक प्रभावशाली अभिव्यक्ति जोड़ सकता है। इसलिए कमजोर भावनाओ को कैनवास पर उतरने की कमजोर कोशिस न करे।

6.रंग समायोजित करें 

आमतौर पर तेल पेंट्स सूखने पर समान दिखते हैं, लेकिन जैसे ही वे सूखते हैं, ऐक्रेलिक पेंट थोड़ा अलग दिखते हैं। आपको बस इतना करना है कि रंगों को ठीक से समायोजित करें ताकि अंतिम उत्पाद आपके विचारो से अलग न हो। इसके लिए, हमारा सुझाव है कि आप कैनवास के एक छोटे से क्षेत्र को पेंट करें और परिणामों को देखने का प्रयास करें अर्थात पेंटिंग का प्रोटोटाइप का प्रयोग करे जो केवल आईडिया  हो।

इसलिए, यदि आप अपने कैनवास पेंटिंग प्रोजेक्ट के लिए मदद की तलाश कर रहे हैं, तो हमारा सुझाव है कि आप शुरुआत करने से पहले इन सभी  6 युक्तियों को आज़माएं। उम्मीद है, ये टिप्स आपके लिए काम को बहुत आसान बना देंगे।





What is fine art, hindi What is fine art, hindi Reviewed by Easenex on जून 16, 2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

Please do not enter any spam link in the comment box.

Blogger द्वारा संचालित.